ऐतिहासिक चैतुरगढ़ मंदिर में दर्शन के लिए पहुंच रहे श्रद्धालु, मनोकामना ज्योति कलश और जवारे से सजा दरबार
कोरबा/ पाली/ छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस: जिले के पाली विकासखंड से लगभग 30 किलोमीटर दूर स्थित ऐतिहासिक चैतुरगढ़ में नवरात्रि पर्व के अवसर पर आस्था और श्रद्धा की अद्भुत छटा देखने को मिलता है पहाड़ी की चोटी पर स्थित माँ महिषासुर मर्दिनी के प्राचीन मंदिर में पंचमी तिथि से ही श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। नौ दिनों तक चलने वाले इस पावन पर्व के दौरान मंदिर परिसर को 90 घी के दीप, 946 तेल के दीप और 1054 जवारे से सजाया गया, जिससे सम्पूर्ण क्षेत्र ज्योतिर्मय और दिव्यता से परिपूर्ण हो उठा।
छत्तीसगढ़ का “कश्मीर” कहलाता है चैतुरगढ़
चैतुरगढ़ जिसे छत्तीसगढ़ का “कश्मीर” भी कहा जाता है, प्राकृतिक सौंदर्य और ऐतिहासिक महत्व दोनों का अद्भुत संगम है। यह स्थल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत लोकप्रिय होता जा रहा है। नवरात्रि के दौरान यहाँ का दृश्य अत्यंत मनमोहक हो जाता है। माँ महिषासुर मर्दिनी के जयकारों से पहाड़ियाँ गूंज उठती हैं और वातावरण में भक्ति की अलौकिक ऊर्जा का संचार होता है।
श्रद्धालुओं की उमड़ी भारी भीड़, दर्शन के लिए लंबी कतारें
नवरात्रि के अवसर पर पंचमी से लेकर नवमी तक हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए यहाँ पहुँचते हैं। महिलाएँ, बच्चे, बुजुर्ग और युवा—सभी आस्था के साथ माता के चरणों में शीश नवाते हैं। मंदिर तक पहुँचने के लिए भक्तों को पहाड़ी चढ़ाई करनी पड़ती है, लेकिन उनकी भक्ति इतनी प्रबल होती है कि कठिन रास्ता भी आसान लगने लगता है।
भंडारे में बाँटा गया प्रसाद, सेवा में जुटी समिति
पूरे नौ दिनों तक मंदिर परिसर में भव्य भंडारे का आयोजन किया गया, जहाँ श्रद्धालुओं को नि:शुल्क भोजन और प्रसाद वितरित किया गया। जाता है इस आयोजन को सफल बनाने में स्थानीय मंदिर समिति की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है समिति के सदस्य दिन-रात सेवा में लगे रहे—चाहे वह रसोई की व्यवस्था हो, साफ-सफाई, जल व्यवस्था या सुरक्षा की निगरानी। भंडारे में सैकड़ों लोग प्रतिदिन भोजन ग्रहण करते हैं, और यह आयोजन श्रद्धा और सेवा का जीवंत उदाहरण बन गया है।