चिंताजनक मामला: बलि के बकरे को पागल कुत्ते ने काटा, सैकड़ों ग्रामीण खतरे में


अंबिकापुर (सरगंवा)। छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के सरगंवा गांव में एक अजीबोगरीब और डराने वाला मामला सामने आया है। यहां एक धार्मिक अनुष्ठान के दौरान बलि दिए गए बकरे का मांस खाने के बाद पूरे गांव में रैबीज फैलने का खौफ पैदा हो गया है। बताया जा रहा है कि बलि से पहले बकरे को एक रैबीज संक्रमित (पागल) कुत्ते ने काट लिया था, जिसके बाद उसी बकरे का मांस करीब 400 ग्रामीणों ने प्रसाद के रूप में ग्रहण किया।

क्या है पूरा मामला?

सरगंवा गांव में पूजा का आयोजन किया गया था, जिसमें परंपरा के अनुसार बकरे की बलि दी जानी थी। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक, बलि देने से कुछ समय पहले ही एक आवारा पागल कुत्ते ने बकरे को काट लिया। इसके बावजूद, ग्रामीणों ने उसी बकरे की बलि दी और उसका मांस पकाकर पूरे गांव में बांट दिया। बाद में जब कुत्ते के पागल होने और बकरे के संक्रमित होने की बात फैली, तो ग्रामीणों में हड़कंप मच गया।

स्वास्थ्य विभाग ने संभाला मोर्चा

मामले की गंभीरता को देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग को तुरंत अलर्ट कर दिया गया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी के निर्देश पर गांव में विशेष स्वास्थ्य जांच शिविर लगाने के आदेश दिए गए हैं। स्वास्थ्य टीम घर-घर जाकर उन लोगों की पहचान कर रही है, जिन्होंने मांस का सेवन किया है।

विशेषज्ञों की रायः ‘पके हुए मांस से खतरा कम’

इस मामले पर डॉक्टरों ने ग्रामीणों को धैर्य रखने की सलाह दी है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है किः

लार से फैलता है वायरसः रैबीज का वायरस आमतौर पर संक्रमित जानवर के काटने या उसकी लार के सीधे रक्त के संपर्क में आने से फैलता है।

तापमान का प्रभावः रैबीज का वायरस अत्यधिक तापमान पर जीवित नहीं रह पाता। यदि मांस को अच्छी तरह उबालकर और पकाकर खाया गया है, तो संक्रमण का खतरा न के बराबर है।

सावधानी जरूरीः फिर भी, सुरक्षा के लिहाज से स्वास्थ्य विभाग उन लोगों की निगरानी कर रहा है जिनके मुंह में छाले थे या जिन्हें मांस काटते समय कोई चोट लगी हो।

प्रशासन की अपील

प्रशासन ने ग्रामीणों से अपील की है कि वे घबराएं नहीं और किसी भी प्रकार के लक्षण दिखने पर तुरंत कैंप में आकर डॉक्टरों से परामर्श लें। फिलहाल गांव में स्थिति पर नजर रखी जा रही है और एहतियात के तौर पर टीकाकरण की संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है।