प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के 14 दिवसीय बाल व्यक्तित्व शिविर का समापन


प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के 14 दिवसीय बाल व्यक्तित्व शिविर का समापन

समर कैंप में 200 बच्चों ने लिया भाग

By@Bharat yadav 7999608199

कोरबा / प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के टीपी नगर स्थित विश्व सद्भभावना भवन में चौदह दिवसीय बाल व्यक्तित्व विकास शिविर का समापन हुआ।
इस अवसर पर मुख्य रूप से निगम महापौर राजकिशोर प्रसाद, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक यूबीएस चौहान, पर्यावरण अधिकारी प्रमेंद्र पांडे विकासखण्ड शिक्षा अधिकारी संजय अग्रवाल, संस्था की प्रभारी बी.के. रुक्मणी दीदी उपस्थित रहे।

इस अवसर पर राज किशोर प्रसाद ने कहा कि संस्था के माध्यम से विभिन्न प्रकार की कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं चाहे वह धार्मिक परी चर्चाएं सड़क सुरक्षा भागवत कथा मीडिया समाज की आधारशिला कार्यक्रम हो आप लोगों के माध्यम से समाज को उच्च दिशा देने में अहम भागीदारी निभाई जाती है बच्चे देश का भविष्य है और उनके भविष्य को गढ़ने का काम संस्था अपने शिविर के माध्यम से प्रतिवर्ष करती है।
यू.बी.एस चौहान ने कहा बच्चे दिल के सच्चे होते हैं उनके अंदर कोई द्वेष राग दुराभाव नहीं रहता इसलिए बच्चे सबके लाडले बने रहते हैं वही जब बच्चे धीरे-धीरे बड़े होने लगते हैं तो कहीं ना कहीं नकारात्मकता भी आ जाती है पर जब ऐसे शिविर का आयोजन होता है तो बच्चों के अंदर आध्यात्मिकता का विकास होता है।

पमेंद्र पांडे ने बच्चों से कहा कि शिविर में जो भी बातें सिखाई गई वह एक्टिविटीज कराई गई उसको सिर्फ प्रतियोगिता के तौर पर ना लें बल्कि अपने जीवन में छोटे-छोटे बदलाव करें इससे आप समाज में बड़ा बदलाव कर सकते हैं।


कार्यक्रम के अंत में बी.के. रुक्मणी दीदी ने कहा अगर बच्चे छोटे पान से ही अच्छी-अच्छी बातें सीख कर जीवन में उतरेंगे तो समाज के व देश के आदर्श नागरिक बन जाएंगे।
15 दिन चले इस शिविर में विभिन्न प्रकार के आकर्षण प्रतियोगिताएं सिंगिंग डांसिंग ड्राइंग हाउस मॉडल क्विज कॉन्टैक्ट निबंध मेडिटेशन ऐसे अनेक प्रतियोगिताएं कराई गई।समर कैम्प में 200 बच्चों ने भाग लिया
सभी बच्चों को सान्तवना पुरस्कार दिया गया।
कार्यक्रम के अंत में सभी अतिथियों को संस्था के द्वारा ईश्वरी सौगात भेंट की गई।
कार्यक्रम को सफल बनाने में लवलीन गाँधी, रश्मि शर्मा, आस्था शर्मा, खुशी चालवानी, रमा कर्माकर, कमल साहू, सूरज भाई बी.के. लीना, बी.के. मधु का विशेष योगदान रहा