भारत की एकता की आत्मीयता बसी हुई है संविधान के हर शब्द में -डॉ. संजय गुप्ता
भारतीय संविधान के अनुच्छेद एक महासागर की भांति जिसमें भारतीयों, भारतीयता की एकरूपता की पहचान होती है-डॉ. संजय गुप्ता
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में विद्यार्थियों ने शिक्षकों के साथ किया भारत के संविधान को नमन
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने जाना संविधान का महत्व एवं आवश्यकता
कोरबा / Chhattisgarh Express/ हर भारतीय नागरिक के लिए हर साल 26 नवंबर का दिन बेहद खास होता है । दरअसल यहीं वह दिन है जब देश की संविधान सभा ने मौजूद संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था । यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है । जहाँ संविधान ने दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य हमें हमारी जिम्मेदारियाँ भी याद दिलाते हैं ।
हर वर्ष 26 नवंबर का दिन देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है । 26 नवंबर 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था । हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था । साल 2015 में संविधान के निर्माता डॉ. अंबेडकर के 125 वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिवस को संविधान दिवस के रूप में मनाने के केन्द्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था । संवैधानिक मूल्यां के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है । भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है । इसके कई हिस्से युनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रलिया, कनाडा और जापान के संविधान से लिए गए हैं । इसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों, सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है ।
दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में संविधान दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । विभिन्न कक्षा स्तर में संविधान निर्माण विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया । माध्यमिक स्तर तक के विद्यार्थियों के लिए संविधान निर्माण एवं इसकी आवश्यकता विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तथा प्राथमिक स्तर तक के विद्यार्थियों को विभिन्न रोचक प्रश्नों के माध्यम से संविधान की आवश्यकता एवं महत्व से परिचित कराया गया । प्रतियोगिता के अंत में सभी विद्यार्थियों और अध्यापकगण ने विद्यालय के प्रांगण में एकत्रित होकर संविधान की शपथ लेकर स्वयं को गौरवान्वित किया ।
भारत की एकता की आत्मीयता बसी हुई है संविधान के हर शब्द में -डॉ. संजय गुप्ता
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने विद्यार्थियों को संविधान की प्रस्तावना पढ़कर सुनाई । विद्यार्थी समूह को विद्यालय की सामाजिक विज्ञान की वरिष्ठ अध्यापिका सुश्री तान्या ज्योत्सना ने संविधान की शपथ दिलाई ।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की आत्मा उसका संविधान होता है । हमें गर्व है कि हमारा संविधान विश्व का सबसे वृहद लिखित संविधान है । इस गौरवशाली संविधान को निर्माण करने में 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिन लगे । यह कार्य 26 नवंबर 1949 को पूरा हुआ । 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ । आपको यह जानकर गर्व महसूस होगा कि संविधान की असली प्रतियाँ हिंदी और इंगलिश दो भाषाओं में लिखी गई थी । इन्हें आज भी भारत की संसद में हीलियम भरे डिब्बों में सुरक्षित रखा गया है । हमारा संविधान 25 भागों, 470 अनुच्छेदों और 12 सूचियों में बँटा दुनिया का सबसे लिखित संविधान है । संविधान निर्माण में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा । आज का दिन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर सहित संविधान निर्मात्री सभी के प्रत्येक सदस्यों को नमन करने का दिन है । भारत की आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत के प्रथम कानून मंत्री के रूप में सेवा करने का निमंत्रण दिया । उन्हें 29 अगस्त को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया । वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है ।
हर भारतीय नागरिक के लिए हर साल 26 नवंबर का दिन बेहद खास होता है । दरअसल यही वह दिन है जब देश की संविधान सभा ने मौजूद संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था । यह संविधान ही है जो हमें एक आजाद देश का आजाद नागरिक की भावना का एहसास कराता है । जहाँ संविधान ने दिए मौलिक अधिकार हमारी ढाल बनकर हमें हमारा हक दिलाते हैं, वहीं इसमें दिए मौलिक कर्तव्य हमें हमारी जिम्मेदारियाँ भी याद दिलाते हैं ।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने जाना संविधान का महत्व एवं आवश्यकता
हर वर्ष 26 नवंबर का दिन देश में संविधान दिवस के तौर पर मनाया जाता है । 26 नवंबर 1949 को ही देश की संविधान सभा ने वर्तमान संविधान को विधिवत रूप से अपनाया था । हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया था । साल 2015 में संविधान के निर्माता डॉ. अंबेडकर के 125 वें जयंती वर्ष के रूप में 26 नवंबर को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने इस दिवस को संविधान दिवस के रूप में मनाने के केन्द्र सरकार के फैसले को अधिसूचित किया था । संवैधानिक मूल्यां के प्रति नागरिकों में सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह दिवस मनाया जाता है । भारतीय संविधान विश्व का सबसे लंबा लिखित संविधान है । इसके कई हिस्से युनाइटेड किंगडम, अमेरिका, जर्मनी, आयरलैंड, ऑस्ट्रलिया, कनाडा और जापान के संविधान से लिए गए हैं । इसमें देश के नागरिकों के मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों, सरकार की भूमिका, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, राज्यपाल और मुख्यमंत्री की शक्तियों का वर्णन किया गया है ।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में विद्यार्थियों ने शिक्षकों के साथ किया भारत के संविधान को नमन
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में संविधान दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया गया । विभिन्न कक्षा स्तर में संविधान निर्माण विषय पर परिचर्चा का आयोजन किया गया । माध्यमिक स्तर तक के विद्यार्थियों के लिए संविधान निर्माण एवं इसकी आवश्यकता विषय पर निबंध लेखन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया तथा प्राथमिक स्तर तक के विद्यार्थियों को विभिन्न रोचक प्रश्नों के माध्यम से संविधान की आवश्यकता एवं महत्व से परिचित कराया गया । विद्यालय के विद्यार्थियों को आंबेडकर पार्क का भ्रमण करवाया गया तथा बना साहब के प्रतिमा के समक्ष संविधान की शपथ दिलवाई गई।मूलभूत एवं मौलिक अधिकार को परिभाषित करती हुए नाटिका का भी मंचन किया गया।प्रतियोगिता के अंत में सभी विद्यार्थियों और अध्यापक गण ने विद्यालय के प्रांगण में एकत्रित होकर संविधान की शपथ लेकर स्वयं को गौरवान्वित किया ।
*विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने विद्यार्थियों* को संविधान की प्रस्तावना पढ़कर सुनाई । विद्यार्थी समूह को विद्यालय की सामाजिक विज्ञान की वरिष्ठ अध्यापिका श्रीमती तान्या ज्योत्सना एवं अध्यापक श्री देबासीस परीदा ने संविधान की शपथ दिलाई । पूरे कार्यक्रम के सफल आयोजन में खेल प्रशिक्षक श्री अविनाश महंत ,श्री रति एवं लीलाराम यादव का विशेष सहयोग रहा ।
भारतीय संविधान के अनुच्छेद एक महासागर की भांति जिसमें भारतीयों, भारतीयता की एकरूपता की पहचान होती है-डॉ. संजय गुप्ता
विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि किसी भी राष्ट्र की आत्मा उसका संविधान होता है । हमें गर्व है कि हमारा संविधान विश्व का सबसे वृहद लिखित संविधान है । इस गौरवशाली संविधान को निर्माण करने में 2 वर्ष, 11 माह और 18 दिन लगे । यह कार्य 26 नवंबर 1949 को पूरा हुआ । 26 जनवरी 1950 को भारत गणराज्य का यह संविधान लागू हुआ । आपको यह जानकर गर्व महसूस होगा कि संविधान की असली प्रतियाँ हिंदी और इंगलिश दो भाषाओं में लिखी गई थी । इन्हें आज भी भारत की संसद में हीलियम भरे डिब्बों में सुरक्षित रखा गया है । हमारा संविधान 25 भागों, 470 अनुच्छेदों और 12 सूचियों में बँटा दुनिया का सबसे लिखित संविधान है । संविधान निर्माण में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर का महत्वपूर्ण योगदान रहा । आज का दिन बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर सहित संविधान निर्मात्री सभी के प्रत्येक सदस्यों को नमन करने का दिन है । भारत की आजादी के बाद कांग्रेस सरकार ने डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारत के प्रथम कानून मंत्री के रूप में सेवा करने का निमंत्रण दिया । उन्हें 29 अगस्त को संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया । वह भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार थे और उन्हें मजबूत और एकजुट भारत के लिए जाना जाता है ।संविधान भारत का सर्वोच्च कानून है। यह एक लिखित दस्तावेज है जो सरकार और उसके संगठनों के मौलिक बुनियादी संहिता, संरचना, प्रक्रियाओं, शक्तियों और कर्तव्यों और नागरिकों के अधिकारों और कर्तव्यों का निर्धारण करने वाले ढांचे को निर्धारित करता है।संवैधानिक प्रावधान नियमों या कानूनों का समूह है जो किसी देश के संविधान के अंतर्गत आते हैं । यह नागरिकों के मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों को स्थापित करता है। इन्हें न्यायालय या सामान्य कानून द्वारा बदला या परिवर्तित नहीं किया जा सकता है। यदि प्रावधानों को बदलना है, तो उन्हें एक विशिष्ट प्रक्रिया से गुजरना होगा।