बैग लेस डे पर विद्यार्थी सीखेंगे कई कौशल, निखरेगी सबकी प्रतिभा -डॉ संजय गुप्ता
कड़ी मेहनत और सही कौशल सफलता की कुंजी हैं-डॉक्टर संजय गुप्ता
कोरबा / छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस न्यूज़: बैगलेस डे एक ऐसा दिन होता है जब छात्रों को स्कूल में अपना भारी बैग नहीं ले जाना पड़ता। इसके बजाय, वे विभिन्न गतिविधियों में संलग्न होते हैं जो उनके पाठ्यक्रम से संबंधित होती हैं लेकिन उन्हें पाठ्यपुस्तकों या नोटबुक की आवश्यकता नहीं होती है।बैगलेस डे का उद्देश्य बच्चों को पढ़ाई के बोझ से राहत देना है। 10 Bagless Days की सिफारिशों का मकसद है कि बच्चों को छोटी उम्र से ही प्रैक्टिकल ट्रेनिंग और प्रैक्टिकल नॉलेज की तरफ झुकाया जा सके। बच्चों में शुरुआत से ही क्लासरूम और सिलेबस से इतर जाकर पढ़ने और सोचने की क्षमता बढ़ाई जा सके।एनईपी, 2020 ने सिफारिश की थी कि कक्षा 6-8 के सभी छात्र 10-दिवसीय बैगलेस अवधि में भाग लें। “10 बैगलेस दिनों के पीछे का विचार उन्हें कक्षा 6-8 से शिक्षा के अध्ययन की मौजूदा योजना के अतिरिक्त के बजाय शिक्षण सीखने की प्रक्रिया का एक अभिन्न अंग बनाना है।
सीखने की लगन और अभ्यास से कौशल का विकास होता है- डॉ संजय गुप्ता
स्कूल बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे शैक्षणिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास के अवसर प्रदान करते हैं। स्कूली जीवन के महत्व से व्यापक शिक्षा मिलती है, जो व्यक्तिगत क्षमता को बढ़ावा देती है, चरित्र का विकास करती है और आजीवन सीखने को प्रोत्साहित करती है।
स्कूल जीवन हमारे जीवन का सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि हम नए दोस्त बनाते हैं, नई चीजें सीखते हैं और अपना करियर बनाते हैं। स्कूल का समय ही एकमात्र ऐसा समय होता है जिसका हम सबसे अधिक आनंद लेते हैं, और जब हम कॉलेज में प्रवेश करते हैं, तो हम हमेशा अपने स्कूल जीवन को याद करते हैं।
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत तय किए लक्ष्यों को हासिल करने के लिए अगले पांच वर्षों के रोड मैप पर मंथन शुरू किया है।
बैगलेस डे का मतलब है, ज्ञान का बोझ हल्का करना। आज हमें खुद को और हमारी सोच को स्वतंत्र रूप से उड़ने देना है- डॉ संजय गुप्ता
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि* भारत एक युवा देश है। हमारी चुनौती 21वीं सदी की दुनिया के लिए वैश्विक नागरिक तैयार करना है, जो तेजी से बदल रही हैं क्योंकि यह सदी प्रौद्योगिकी की ओर से संचालित हो रही है। उन्होंने आगे कहा कि यह हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है कि एक ऐसी शिक्षा प्रणाली सुनिश्चित की जाए, जो जमीनी और आधुनिक दोनों ही हो। स्कूलों में टेक्नोलोजी पर ध्यान देना होगा। हमें रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए अपनी कौशल क्षमताओं को भी बढ़ाना चाहिए।
स्कूली शिक्षा के लिए जारी किए गए नैशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) में यह स्पष्ट कर दिया गया है कि क्लासरूम टीचिंग केवल किताबों की दुनिया ही नहीं है बल्कि छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों के एक्सपर्ट्स से भी मिलवाना चाहिए। स्कूलों के वार्षिक कैलेंडर में 10 Bagless Days होंगे यानी इन दस दिन छात्र बिना बैग और किताबों के स्कूल जाएंगे। इन दिनों में छात्रों को फील्ड विजिट करवाई जाएगी। यह सिफारिश की गई है कि इन दस दिनों में छात्रों को स्थानीय पारिस्थितिकी के बारे में जागरूक करने, उन्हें पानी की शुद्धता की जांच करना सिखाने, स्थानीय वनस्पतियों और जीवों को पहचानने और स्थानीय स्मारकों का दौरा करवाया जाए। डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि इस दरमियान विद्यार्थी में अनेक कौशलों के विकास पर जोर दिया जाएगा।उन्हें गार्डेनिंग,डांस,म्यूजिक,कंप्यूटर,
इलेक्ट्रिकल नॉलेज ,पर्सनेलिटी डेवलपमेंट,स्पोर्ट्स एक्टिविटी,मोरल एजुकेशन,ड्रामा,एक्टिंग,साइंस प्रोजेक्ट एक्टिविटी,ज्योग्राफिकल एक्टिविटीज जैसे विभिन्न कौशालों से जोड़ा जाएगा,जिससे कि उनकी छिपी हुई प्रतिभा निखर कर सामने आए।बैग लेस डे का उद्देश्य ही होगा विद्यार्थियों को बचपन लौटना और उनके व्यावहारिक ज्ञान को बढ़ावा देना।