8 दिन से बोरवेल में फंसी चेतना, बचाव कार्य जारी: 1.5 फीट चौड़ी चट्टान तोड़ने की चुनौती


कोटपुतली-बहरोड़। राजस्थान के कोटपूतली में बीते आठ दिनों से चेतना को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू जारी है। कोटपूतली में बोरवेल में फंसी चेतना के करीब रेस्क्यू टीमें पहुंच गई हैं। अधिकारियों का कहना है कि जवान अधिकारियों के संपर्क में हैं और उनके निर्देशानुसार खुदाई की जा रही है। उरनिरीक्षक महावीर सिंह ने कहा कि जवान अडिग हैं इस स्थिति में मजबूती से खड़े हैं।

8 दिन से बोरवेल में फंसी चेतना की कंडीशन को लेकर सब अधिकारी अभी चुप्पी साधे हुए हैं। जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने दावा किया है कि ये राजस्थान का सबसे मुश्किल ऑपरेशन है। 28 दिसंबर को चेतना के परिवार-ग्रामीणों ने भी प्रशासन पर लापरवाही के आरोप लगाए थे।

राष्ट्रीय आपदा मोचन बल के उपनिरीक्षक महावीर सिंह ने बताया कि एनडीआरएफ और अन्य आपदा प्रबंधन कर्मी बच्चे को बचाने के लिए खोदी गई सुरंग के अंदर हैं और अपने लक्ष्य के करीब पहुंच रहे हैं। उरनिरीक्षक महावीर सिंह ने बताया कि हम सटीक स्थिति नहीं बता पाएंगे। बचाव कर्मी वापस ऊपर चढ़ रहे हैं (सुरंग से)। एक बार जब वे बाहर आ जाएंगे, तो हम आपको बताएंगे कि हमने कितनी खोदाई कर ली है। हम हर सेकंड अपने लक्ष्य के करीब पहुंच रहे हैं। जवान संबंधित अधिकारियों के संपर्क में हैं। उनके निर्देशानुसार खुदाई चल रही है। हमने विशेषज्ञों को बुलाया है, ताकि हम सही दिशा में खुदाई करते रहें। इसके लिए हमारे पास उपकरण भी हैं, जिनका उपयोग हमें मार्गदर्शन करने के लिए किया जा रहा है। हमारे जवान अडिग हैं, इस स्थिति में मजबूती से खड़े हैं।

इलाके में पत्थरों की कठोरता के कारण विशेष प्रकार के उपकरण मंगवाए गए हैं। बचाव कार्य में मदद के लिए खनन (बचाव) टीम को भी बुलाया गया है। एनडीआरएफ अधिकारियों ने बताया कि अधिकारियों को उम्मीद है कि सोमवार तक काम पूरा हो जाएगा।

बचाव कार्य अभी भी है जारी

मीना ने रविवार को संवाददाताओं से कहा, ठोस चट्टान के कारण हमें कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। चट्टान को काटना कठिन है, लेकिन बचाव कार्य जारी है। हमें उम्मीद है कि हम लड़की को जल्द ही बचा लेंगे। लगभग आधा काम पूरा हो चुका है और हम इसे कल तक पूरा करने की कोशिश करेंगे।

कोटपूतली-बहरोड़ की जिला कलेक्टर कल्पना अग्रवाल ने रविवार को बताया कि लड़की तक पहुंचने के लिए सुरंग बनाने के काम में कई चुनौतियां हैं, क्योंकि सुरंग का रास्ता पथरीला है। साथ ही सुरंग के ऊपर और नीचे के तापमान में भी काफी अंतर है, जिससे दिक्कतें आ रही हैं।

अग्रवाल ने कहा, हम सुरंग का निर्माण कर रहे हैं…चुनौती बढ़ गई है, क्योंकि सुरंग का मार्ग पथरीला है…ऊपर और नीचे के तापमान में बहुत अंतर है…सभी विकल्पों पर विचार और चर्चा की जा रही है…सर्वोत्तम उपकरण उपलब्ध करा दिए गए हैं।

अधिकारियों के अनुसार, गुरुवार रात (26 दिसंबर) को ऑपरेशन एक महत्वपूर्ण बिंदु पर पहुंच गया, जब बी-प्लान को लागू किया गया और बोरवेल के बगल में छेद में एक आवरण पाइप उतारा गया। राष्ट्रीय आपदा राहत बल (एनडीआरएफ) राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) और स्थानीय प्रशासन की टीमों सहित अधिकारी बचाव अभियान का नेतृत्व कर रहे हैं।

एनडीआरएफ कर्मियों ने पहले कहा था कि वे चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद लड़की को बचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। लड़की 23 दिसंबर को कीरतपुरा गांव में अपने पिता के खेत में खेलते समय बोरवेल में गिर गई थी।