नाग पंचमी पर दल्हा पहाड़ में लगा मेला, 700 मीटर ऊंचे पहाड़ पर दूर दराज से पहुंचे लोग, खूबसूरती देख चेहरे पर आए मुस्कान


नाग पंचमी पर दल्हा पहाड़ में लगा मेला, 700 मीटर ऊंचे पहाड़ पर दूर दराज से पहुंचे लोग, खूबसूरती देख चेहरे पर आई मुस्कान 

बिलासपुर/ छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस: जिला मुख्यालय से 40 किमी कि दुरी पर दल्हा पहाड़ में विशेष रूप से नागपंचमी एवं महाशिवरात्री के दिन मेला लगता है. इसके साथ ही यहां मुनि का आश्रम और सूर्यकुंड विशेष रूप से प्रसिद्ध है. इस सूर्यकुंड की मान्यता है कि इसका पानी पीने से लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहता है.
जांजगीर चांपा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर अकलतरा तहसील अंतर्गत दलहापोड़ी गांव स्थित है, जहां दल्हा पहाड़ अपनी धार्मिक मान्‍यताओं के कारण प्रसिद्ध है. लगभग 700 मीटर ऊंचे इस पहाड़ की ऊपरी चोटी पर पहुंचने और ऊपर से चारों ओर का नजारा देखने के लिए दूर-दूर से लोग यहां आते ओर खूबसूरत नजारा का आनंद लेते हैं.


दल्हा पहाड़ में विशेष रूप से महाशिवरात्रि और नागपंचमी के दिन मेला लगता है. इसके साथ ही यहां मुनि का आश्रम और सूर्यकुंड विशेष रूप से प्रसिद्ध है. इस सूर्यकुंड की मान्यता है कि इसका पानी पीने से लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहता है. किसी भी प्रकार की बीमारी हो, तो यहां का पानी पीने से बीमारी कट जाती है.दल्हा पहाड़ में महाशिवरात्रि और नाग पंचमी के दिन सबसे ज्यादा भीड़ होती है. अर्धनारेश्वर धाम के मुख्य पुजारी एवं दशनाम जूनाखड़ा के महंत शंकर पूरी महराज ने बताया कि यहां सूर्यकुण्ड का पानी बारहों माह अमृत के समान है और मान्यता है कि नागपंचमी के दिन कुंड का पानी पीने से लोगों का स्वास्थ्य ठीक रहता है. अगर किसी व्यक्ति को कोई भी बीमारी हो, तो यहां का पानी पीने से ठीक हो जाता है.
दल्हा पहाड़ की चोटी पर जाने के लिए जंगल से गुजरते हुए कटीले पौधों और पथरीली पत्थरों से भरा लंबा रास्ता तय करना होता है, क्योंकि यहां न तो सीढ़ी बनी है और न ही ऊपर चढ़ने के लिए कोई रास्ता बना हुआ है. ट्रैकिंग के शौकिन व्यक्ति भी यहां पहाड़ की चोटी तक चढ़ने के लिए सामान्य दिन में भी जाते रहते हैं. यहां जाने के लिए पहाड़ के चारों ओर कोटगढ़, पचरी, पंडरिया और पोड़ी गांव है. इस जंगल में सांप भी रहते हैं, लेकिन इसके बावजूद दर्शनर्थियों इस यात्रा मे बड़चढकर भाग लेते है और दल्हा पहाड़ के चोटी पर पहुंच कर अपना मिशन पूर्ण करते है पर्यटक!