नैतिकता है शिक्षा की नींव, जो जीवन को बनाए पूर्ण और ईमानदार: डॉक्टर संजय गुप्ता

नैतिकता है शिक्षा की नींव, जो जीवन को बनाए पूर्ण और ईमानदार : डॉक्टर संजय गुप्ता

कोरबा / छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस : नाटक केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, बल्कि इससे युवाओं को बेहतर शिक्षा के साथ संस्कार और परंपराएं जानने का अवसर मिलता है।वर्तमान में एकल परिवार होने के कारण लोग अपनी-अपनी जिम्मेदारी में व्यस्त हैं। ऐसे में नाट्य विधा और रंगमंच की भूमिका महत्वपूर्ण है। हमारा दायित्व है कि हम युवाओं को अपनी देश की संस्कृति और परंपराओं को नाटक के माध्यम से बताएं। नाटक केवल मनोरंजन का साधन ही नहीं, बल्कि इससे युवाओं को बेहतर शिक्षा के साथ संस्कार और परंपराएं जानने का अवसर मिलता है। इससे युवा परंपराओं के साथ आदर, प्रेम की शिक्षा ग्रहण करते हैं। नाट्य विधा का वर्तमान समय में सबसे ज्यादा महत्व है। नाट्य ही समाज को नई दिशा देने का काम करता है। इसके द्वारा हम समाज को शिक्षा के साथ भारतीय संस्कृति के बारे में बताते हैं। संस्कृति और परंपराओं को बताने के लिए रंगमंच एक सशक्त माध्यम है।

*इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में सीसीए एक्टिविटी के अंतर्गत* स्किट कंपटीशन का आयोजन किया गया। इस प्रतियोगिता में विद्यालय के प्राइमरी क्लासेस के स्टूडेंट्स ने पार्टिसिपेट किया। प्रतियोगिता में अलग-अलग हाउस के बच्चों ने भाग लिया । सभी हाउस के प्रतियोगियों को अलग-अलग थीम प्रदान किया गया था। स्पर्धा बहुत जबरदस्त थी। सभी हाउस के स्टूडेंट्स ने अपनी एक्टिंग स्किल का बेहतरीन नमूना मंच पर प्रदर्शित किया। विजेता *टोपाज हाउस ने* सोशल मीडिया का दुष्प्रभाव* थीम पर प्रभावी एक्टिंग कर लोगों का दिन जीत लिया और प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त किया। टोपाज हाउस के विद्यार्थियों ने अभिनय के माध्यम से बताया कि किस प्रकार हम अपनों के बीच रह करे भी अपनों को समय नहीं दे पा रहे हैं ।हमारा पूरा समय सोशल मीडिया के तंत्र जाल में उलझ कर रह जाता है और हम अपनों के मध्य रहकर ही अपनों से दूर होते चले जा रहे हैं।

*द्वितीय स्थान पर रहे सफायर हाउस के विद्यार्थियों ने* अभिनय के माध्यम से संदेश दिया कि मानव जीवन में दया का हमेशा से महत्व रहा है ।मानव होकर हमें मानवता अवश्य होनी चाहिए और दया का फल हमेशा मीठा और प्रभावी होता है। हम अपने व्यवहारों से ही दूसरों का दिल जीत सकते हैं ।हमें किसी के भी साथ वह व्यवहार नहीं करना चाहिए जो व्यवहार हमें स्वयं के लिए पसंद नहीं है।

*स्किट कंपटीशन में तृतीय स्थान प्राप्त किया रूबी हाउस ने।* रूबी हाउस के विद्यार्थियों ने भी अपनी अभिनय शैली में जान डाल दी सोशल मीडिया का मानव जीवन पर सकारात्मक एवं नकारात्मक प्रभाव को बहुत ही सुंदर ढंग से अभिनय शैली में मंचन किया इन विद्यार्थियों ने।
पूरी प्रतियोगिता के आयोजन में सीसीए प्रभारी सुश्री मौसमी एवं खुशबू के साथ ही सभी सदन प्रमुखों का विशेष योगदान रहा।
विद्यार्थियों ने स्किट कंपटीशन का भरपूर आनंद उठाया। अलग-अलग किरदारों के हिसाब से विद्यार्थियों की वेशभूषा भी काबिले तारीफ थी।
विद्यालय के प्राचार्य डॉ संजय गुप्ता ने अपने प्रेरक उद्बोधन में कहा कि चूँकि नाटक और रंगमंच दोनों ही समूह कला रूप हैं, इसलिए प्रतिभागियों के बीच व्यक्तिगत कौशल का निर्माण करना महत्वपूर्ण है। यदि पारस्परिक विकास पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो कलाकृति अपनी पूरी क्षमता तक नहीं पहुँच पाएगी।नाटक में श्रव्य काव्य से अधिक रमणीयता होती है। श्रव्य काव्य होने के कारण यह लोक चेतना से अपेक्षाकृत अधिक घनिष्ठ रूप से संबद्ध है। नाट्यशास्त्र में लोक चेतना को नाटक के लेखन और मंचन की मूल प्रेरणा माना गया है। भारतीय नाटक का एक दृश्य काव्य है।नाटक के ज़रिए हम समाज को भारतीय संस्कृति और परंपराओं के बारे में बता सकते हैं।नाटक में भावनात्मक बुद्धिमत्ता को बढ़ावा मिलता है।
नाटक में भाग लेने से छात्रों को नए तरीके से संवाद करने और समझने में मदद मिलती है।
नाटक में भाग लेने से छात्रों को भावनाओं, विचारों, और सपनों के लिए एक आउटलेट मिलता है।
नाटक से हमें जीवन के विभिन्न पहलुओं के बारे में समझने में मदद मिलती है। इसके साथ ही नाटक से मनुष्य में नैतिक मूल्यों का विकास होता है।