कुडुमकेला में श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन,श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह की झांकी देख मंत्रमुग्ध हुए भक्त
रायगढ़/ छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस: कुडुमकेला में ठाकुर परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के छठे दिन 06 मार्च, गुरुवार को श्रद्धालुओं ने भक्ति, प्रेम और आध्यात्मिक आनंद से ओतप्रोत एक अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव किया। प्रसिद्ध कथावाचक पं. राजाराम जी महाराज ने उद्धव चरित्र, महारास लीला और श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह का दिव्य वर्णन किया, जिसे सुनकर श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए।
कथावाचक पंडित राजाराम शास्त्री ने कथा के दौरान कहा कि समर्पण प्रेम की शर्त नहीं, बल्कि प्रेम का स्वभाव है। उन्होंने बताया कि जब गोपियों ने श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने की इच्छा जताई, तो भगवान ने शरद पूर्णिमा की रात्रि यमुना तट पर महारास का आयोजन किया। बांसुरी की मधुर तान पर मोहित होकर सभी गोपियां अपनी सुध-बुध खो बैठीं और प्रेम तथा भक्ति के रंग में रंग गईं। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी अद्भुत लीला से प्रत्येक गोपी के लिए स्वयं को प्रकट कर दिया, जिससे सभी गोपियों को उनका प्रियतम कृष्ण प्राप्त हो गया। इस दिव्य नृत्य और प्रेमानंद को सुनकर श्रद्धालु आत्मविभोर हो उठे।
कथा में श्रीकृष्ण और विदर्भ की राजकुमारी रुक्मिणी के विवाह प्रसंग का भी भावपूर्ण वर्णन किया गया। जब रुक्मिणी ने भगवान श्रीकृष्ण को अपने मन से वरण कर लिया, तो भगवान ने सभी विरोधियों को परास्त कर उन्हें द्वारका ले जाकर विधिपूर्वक पाणिग्रहण संस्कार संपन्न किया। इस अवसर पर आयोजकों द्वारा श्रीकृष्ण-रुक्मिणी विवाह की भव्य झांकी प्रस्तुत की गई, जिसे देखकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए।
कथा के दौरान संगीतमय भजन संध्या का आयोजन किया गया, जिसमें भक्तों ने भक्ति गीतों पर झूमते हुए श्रद्धा और प्रेम से ओतप्रोत वातावरण बना दिया। भव्य आयोजन को सफल बनाने में राठौर परिवार और उनके सहयोगियों का सराहनीय योगदान रहा। सप्ताहभर चलने वाले इस श्रीमद्भागवत कथा महोत्सव में श्रद्धालुओं की अपार भीड़ उमड़ रही है। भक्तों ने कहा कि कथा सुनकर उन्हें आध्यात्मिक शांति और ईश्वर भक्ति का अनमोल आशीर्वाद मिला। इस धार्मिक आयोजन ने पूरे क्षेत्र को भक्ति और प्रेम की पावन ऊर्जा से सराबोर कर दिया।