राजा परीक्षित के जन्म की कथा सुनकर श्रद्धालु हुए भावविभोर
कोरबा / भिलाई बाजार – राठौर परिवार के तत्वाधान में आयोजित संगीतमय श्रीमद भागवत कथा में कथा वाचक शुकदेव जी महराज परीक्षित जन्म और शुकदेव आगमन की कथा सुनाई।उन्होंने बताया कि युद्ध में गुरु द्रोण के मारे जाने से क्रोधित होकर उनके पुत्र अश्वत्थामा ने पांचों पांडवों तथा अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे परीक्षित को मारने के लिए छह बार ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण ने उनकी रक्षा की और उत्तरा के गर्भ से परीक्षित का जन्म हुआ।
एक दिन वह क्रमिक मुनि से मिलने उनके आश्रम गए। उन्होंने आवाज लगाई, लेकिन तप में लीन होने के कारण मुनि ने कोई उत्तर नहीं दिया। राजा परीक्षित अपमान मानकर निकट मृत पड़े सर्प को क्रमिक मुनि के गले में डाल कर चले गए। अपने पिता के गले में मृत सर्प को देख मुनि के पुत्र ने श्राप दे दिया कि जिस किसी ने भी मेरे पिता के गले में मृत सर्प डाला है। उसकी मृत्यु सात दिनों के अंदर सांप के डसने से हो जाएगी। दिन प्रतिदिन भागवत रूपी गंगा में डुबकी लगाने श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ती जा रही है, प्रतिदिन सुबह 9 बजे आचार्य पंडित भागवत प्रसाद पाण्डेय जी द्वारा तुलसी पूजा कराई जाती है, और दोपहर 2 बजे से प्रारंभ होती है,