आईपीएस दीपका में हुआ हिन्दी ‘सुलेख’ प्रतियोगिता का आयोजन 


मेरा प्रयास है कि विद्यार्थी अंग्रेजी तो सीखें ही, मगर अपनी मातृभाषा से दूर न हों-डॉ. संजय गुप्ता

प्राचार्य डॉ संजय गुप्ता

 

सभी भाषाओं का ज्ञान जीवन में काम आता है परंतु अपनी संस्कृति व मातृभाषा का सम्मान करना हमारा संस्कार है जिसे हमें कभी नहीं भूलना चाहिए-डॉ. संजय गुप्ता

व्यक्ति की विशिष्ट पहचान उसके लिखावट से होती है-(डॉ. संजय गुप्ता)

आई0पी0एस0 दीपका में हुआ हिन्दी ‘सुलेख’ प्रतियोगिता का आयोजन

कोरबा / छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस न्यूज़: यह बात सही है कि व्यक्ति के लिखावट से उसका व्यक्तित्व झलकता है।आपकी लिखावट यह जाहिर कर देती है कि आाप किस तरह के व्यक्तित्व के धनी हैं।सुलझी लिखावट के लोग काफी सीधे एवं सुलझे प्रवृत्ति के होते हैं। यही वजह है कि स्कूलों में प्राथमिक स्तर से ही बच्चों की लिखावट पर विशेष ध्यान दिया जाता है।बच्चों की लिखावट को सुधारने के लिए विविध प्रकार के दिशा निर्देशन एवं प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है जिससे उनमें प्रतिस्पर्धा स्वरुप सुंदर एवं स्पष्ट लेखन का जुनून उत्पन्न होता है।

*दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में* बच्चों के प्रतिभाओं को निखारने और उनमें प्रतिस्पर्धात्मक गुणों के विकास हेतु विभिन्न प्रकार की प्रतियोगिताएँ आयोजित होती रहती हैं।इसी क्रम में आयोजित सुलेख प्रतियोगिता में सभी कक्षा स्तर तक के बच्चों ने बढ़ -चढ़कर हिस्सा लिया तथा सभी कक्षा से सर्वश्रेष्ठ लिखावट वाले बच्चों का चयन कर प्रोत्साहन स्वरुप प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।
*सुलेख प्रतियोगिता में* *कक्षा 6वीं* से सायशा नरवाल, पलक श्रीवास, पीहू कुमारी, प्रयास सिहाग , *कक्षा 7 वीं* से युक्ति राणा, सिमरन सहारन, सुरभि, हसन अंसारी, विवेक कुमार, आयुषी निराला, *कक्षा 8 वीं* से निकिता हेमब्रॉम, हर्षिता शर्मा, दीक्षा पाटले, कविंन प्रजापति, अभिनव श्रीवास्तव, आदिति गोपाल, अंशु अग्रवाल, आयुष सिंह, *कक्षा 9 वीं* से पायल सहरान, अनोखी अग्रवाल, अन्वी सिंह, अमित यादव, *कक्षा11 वीं* से विनीता, ट्विंकल राठौर, निशा कंवर, समृद्धि सिंह, रोशनकुमार, हर्ष, आयुष, श्रेय, निधि, नयनश्री, मेराज अंसारी, अभिनय इत्यादि ने आकर्षक लेखन का प्रदर्शन करते हुए अपनी आकर्षक लेखन प्रतिभा का परिचय दिया और प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता के द्वारा सम्मान स्वरूप प्रमाण पत्र प्राप्त किया।

*सभी सफल विद्यार्थियों को प्रमाण पत्र देते हुए डॉक्टर संजय गुप्ता प्राचार्य ‘इंडस पब्लिक स्कूल-दीपका’ ने कहा कि* व्यक्ति की विशिष्ट पहचान उसकी लिखावट से होती है।सुलेख प्रतियोगिता का उद्देश्य बच्चों की लिखावट सुधारने के साथ-साथ उन्हें व्याकरण के ज्ञान से भी परिचित कराना है;जिससे उनमें विराम चिन्हों का प्रयोग एवं मात्राओं के ज्ञान का भी विकास हो। इससे बच्चों में प्रतियोगिता की भावना का तो विकास होगा ही साथ ही अपनी छिपी हुई प्रतिभा से भी वाकिफ होंगे।
सुलेख के माध्यम से जहां अपनी लिखावट को सुंदर बनाया जाता है, ताकि पढ़ने वाला उसे ना केवल सरलता से पढ़े बल्कि वह उसे रुचि से भी पढ़े। सुंदर लिखावट देखकर हर कोई उसे पढ़ने के लिए आकर्षित होता है।

हिंदी या किसी भी भाषा में हस्तलेखन प्रतियोगिता के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं:-

◼️ *संस्कृति और भाषा का संरक्षण:* वे हिंदी के उपयोग को बढ़ावा देते हैं, भाषा और इसकी लिपि को संरक्षित और मनाने में मदद करते हैं।
◼️ *शैक्षणिक लाभ:* ये प्रतियोगिताएं छात्रों को अपने हस्तलेखन कौशल का अभ्यास करने और सुधारने के लिए प्रोत्साहित करती हैं, जो उनके समग्र शैक्षणिक प्रदर्शन को बढ़ा सकता है, क्योंकि अच्छी लिखावट अक्सर बेहतर पढ़ने और लिखने के कौशल से जुड़ी होती है।
◼️ *संज्ञानात्मक विकास:* हाथ से लिखना मस्तिष्क को टाइपिंग की तुलना में अलग तरीके से सीखने की प्रक्रिया में संलग्न करता है, जिससे स्मृति प्रतिधारण और समझ में सहायता मिलती है।
◼️ *रचनात्मकता और अभिव्यक्ति:* प्रतियोगिताएं अद्वितीय हस्तलेखन शैलियों के माध्यम से रचनात्मकता और व्यक्तिगत अभिव्यक्ति को बढ़ावा दे सकती हैं।
◼️ *विवरण पर ध्यान:* प्रतिभागियों में विवरण पर अधिक ध्यान और अपने काम में गर्व की भावना विकसित होती है।
◼️*आत्मविश्वास बढ़ाना:* ऐसी प्रतियोगिताओं में सफलता छात्रों के आत्मविश्वास को बढ़ा सकती है और उन्हें अन्य शैक्षणिक क्षेत्रों में उत्कृष्टता प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित कर सकती है।
◼️ *अनुशासन और धैर्य को प्रोत्साहित करना:* अच्छी लिखावट के लिए आवश्यक अभ्यास छात्रों को अनुशासन और धैर्य सिखाता है।