INDIA. मां शाकंभरी को हिंदू धर्म में ‘शाकाहार की देवी’ के रूप में पूजा जाता है। उनका स्वरूप अत्यंत सौम्य, करुणामयी और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है। वे जीवन के पोषण और सादगी का प्रतीक मानी जाती हैं।
मां शाकंभरी का परिचय
मां शाकंभरी को देवी दुर्गा का अवतार माना जाता है। उनका नाम “शाकंभरी” का अर्थ है “शाक” (सब्जियां) और “अंभरी” (धारण करने वाली)। मान्यता है कि उन्होंने कठिन समय में लोगों को सब्जियों, फलों और अन्य प्राकृतिक भोज्य पदार्थों का उपदेश देकर जीवित रखा।
मां शाकंभरी की कथा
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, एक बार पृथ्वी पर भयंकर सूखा पड़ा। जीव-जंतु और मनुष्यों को भुखमरी का सामना करना पड़ा। तब मां शाकंभरी ने अवतार लेकर अपनी करुणा से सभी को जीवनदान दिया। उन्होंने धरती पर सब्जियां, फल और अन्न उत्पन्न किए और सभी की भूख शांत की। इसीलिए उन्हें शाकाहार की देवी कहा जाता है।
मां का स्वरूप
मां शाकंभरी का स्वरूप सौम्य और दिव्य है। वे हरे-भरे परिधान में सुशोभित होती हैं और उनके हाथों में फल, सब्जियां, जड़ी-बूटियां और फूल होते हैं। उनके चेहरे पर करुणा और दया की झलक होती है, जो उनके भक्तों को शांति और संतोष प्रदान करती है।
पूजा का महत्व
- प्रकृति और भोजन का सम्मान: मां शाकंभरी की पूजा हमें शाकाहार, प्रकृति और भोजन के महत्व को समझाती है।
- भूखमरी से मुक्ति: उनकी पूजा से परिवार में अन्न और धन की कमी नहीं होती।
- सादगी का प्रतीक: मां हमें सादगी और प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने का संदेश देती हैं।
प्रमुख पूजा स्थल
मां शाकंभरी के कई प्रसिद्ध मंदिर भारत में स्थित हैं, जैसे:
- शाकंभरी देवी मंदिर (सहारनपुर, उत्तर प्रदेश): यह मंदिर मां का प्रमुख तीर्थ स्थल है।
- शाकंभरी माता मंदिर (राजस्थान): राजस्थान में भी उनका भव्य मंदिर है।
- भीलवाड़ा का शाकंभरी मंदिर (राजस्थान): यहां मां की विशेष पूजा होती है।
मां का संदेश
मां शाकंभरी हमें यह सिखाती हैं कि प्रकृति और उसका दिया हुआ भोजन ही जीवन का आधार है। उनका आशीर्वाद हमें शाकाहार अपनाने और संतोषपूर्ण जीवन जीने की प्रेरणा देता है।
निष्कर्ष:
मां शाकंभरी न केवल शाकाहार की देवी हैं, बल्कि वे प्रकृति के प्रति सम्मान, सादगी और करुणा का प्रतीक भी हैं। उनकी पूजा से जीवन में सुख-शांति और अन्न-धन की प्राप्ति होती है।