मां सर्वमंगला मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन अनुष्ठान सम्पन्न,  श्रद्धालुओं ने पूर्णाआहुति की अर्पित


मां सर्वमंगला मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन अनुष्ठान सम्पन्न,  श्रद्धालुओं ने पूर्णाआहुति की अर्पित


कोरबा। छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस:  शारदीय नवरात्र के पावन अवसर पर मंगलवार को महाष्टमी पर मां महागौरी की पूजा-अर्चना वैदिक विधि विधान के साथ संपन्न हुई। शहर के प्रमुख देवी मंदिरों और पूजा पंडालों में सुबह से ही भक्तों की भीड़ उमड़ने लगी। मां सर्वमंगला मंदिर में वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन अनुष्ठान हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आहुतियां अर्पित कीं। दोपहर बाद कन्या भोज का आयोजन किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने माता के प्रसाद का लाभ लिया।
इस वर्ष शारदीय नवरात्र 22 सितंबर से प्रारंभ हुआ था। महाष्टमी मंगलवार को तथा नवमी बुधवार को मनाई जा रही है, वहीं गुरुवार को दशमी पर रावण दहन का आयोजन होगा। इसी क्रम में महाष्टमी पर विशेष पूजा-पाठ और हवन अनुष्ठान का आयोजन किया गया।
शहर के मां सर्वमंगला मंदिर में भी राजपुरोहित नमन पांडे ने अपने परिवार सहित अष्टमी की पूजा वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हवन अनुष्ठान किया। मंदिर में सुबह से श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रही और दोपहर बाद भोग-भंडारे का आयोजन हुआ। पूरे शहर में देवी मंदिरों और विभिन्न पूजा समितियों की ओर से कन्या भोज व प्रसाद वितरण कार्यक्रम आयोजित किए गए। मां दुर्गा के जयकारों से मंदिर और पंडाल गूंज उठे। श्रद्धालु आसपास के क्षेत्रों से भी बड़ी संख्या में पहुंचकर माता की आराधना में शामिल हुए।

 

हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व : नमन पांडेय

 (कोरबा /छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस ) हिंदू धर्म में शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है। यह त्योहार पूरे भारत में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार शारदीय नवरात्रि की शुरुआत 22 सितंबर से हुई है और इसका समापन 2 अक्तूबर को दशहरा के साथ होगा। इस दौरान भक्त मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं। वहीं, नवरात्र के अंत में अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन और हवन करने की परंपरा है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सही विधि से किए गए हवन से घर में सुख-समृद्धि आती है और मां दुर्गा प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं।

नवरात्र के दौरान हवन करना बेहद शुभ माना गया है। मान्यता है कि हवन की अग्नि माता रानी को प्रसन्न करती है और इससे साधक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। हवन से निकलने वाला धुआं नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करता है और वातावरण को शुद्ध करता है।

अष्टमी और नवमी तिथि पर सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर सबसे पहले स्नान करना चाहिए और साफ वस्त्र पहनने चाहिए। इसके बाद हवन कुंड को साफ स्थान पर स्थापित करें और उस पर स्वास्तिक बनाएं। देशी घी का दीपक जलाकर मां दुर्गा के नौ रूपों का पूजन करें। हवन कुंड में आम की लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित करें और फिर मंत्रों के साथ हवन सामग्री की आहुति दें। ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे स्वाहा’ मंत्र का उच्चारण करते हुए घी, तिल, जौ, चावल, गुग्गुल आदि को अग्नि में अर्पित करें। हवन के अंत में पूर्णाहुति देकर मां दुर्गा से सुख-शांति और समृद्धि की प्रार्थना करें।