माँ सर्वमंगला मंदिर 11000 मनोकामना ज्योति कलश से जगमगाया, प्रथम दिवस विधिवत हुई मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना
परदेस में रहने वाले भक्तों ने भी प्रज्वलित किए मनोकामना ज्योति कलश
भरत यादव 7999608199
कोरबा / छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस: हसदेव नदी के किनारे मां सर्वमंगला का भव्य मंदिर स्थित है जहां माता रानी अपने भक्तों की पुकार सुनती है ऐसी मान्यता है की मां सर्व मंगला अपने भक्तों की मनोकामना पूर्ण करती है , यही कारण है कि माता सर्वमंगला पर असंख्य भक्तों की असीम श्रद्धा है। बता दे सर्वमंगला माता का मंदिर कोरबा जिले समेत पुरे छत्तीसगढ़ प्रदेश में प्रख्यात है।
माना जाता है मंदिर का इतिहास लगभग 125 वर्ष पुराना है मंदिर प्रांगण में विष्णु मंदिर,काली मंदिर, हनुमान मंदिर, श्री राम मंदिर समेत अनेक मंदिरों की स्थापना की गई है, मंदिर प्रांगण में ही एक विशाल वट का वृक्ष भी है और इसी वट वृक्ष के नीचे मां का मंदिर है, इसके अलावा प्रांगण में ही मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित करने के लिए भवन का निर्माण भी कराया गया है।
11000 मनोकामना ज्योति कलश से जगमगाया माता का दरबार
सर्वमंगला मंदिर के राजपुरोहित, प्रबंधक एवं सर्वराकारा नमन पांडे ने बताया कि इस वर्ष शारदीय नवरात्रि पर्व में सर्वमंगला मंदिर में तकरीबन 11000 मनोकामना ज्योति कलश प्रचलित किए जा रहे है, माता रानी के भक्तों ने विदेश से भी मनोकामना ज्योति कलश प्रज्वलित करने रसीदे कटाई है, इनमें अमेरिका 04 ऑस्ट्रेलिया 01 और म्यांमार से 01 शामिल है. साथ ही कोरबा समेत अन्य जिलों से भी ज्योति कलश प्रचलित किये जा रहे हैं।
मंदिर आने वाले भक्तों के लिए उचित व्यवस्था : राजपुरोहित नमन पाण्डेय
सर्वमंगला मंदिर के राजपुरोहित प्रबंधक एवं सर्वराकारा नमन पांडे ने बताया कि नवरात्रि पर्व में मंदिर में हजारों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं जिसके मद्देनज़र मंदिर प्रबंधन द्वारा पूर्ण व्यवस्था की गई है मंदिर आने वाले भक्तों को किसी भी प्रकार की कोई समस्या नहीं होगी… धूप से बचने सेड व पीने का पानी की व्यवस्था सहित अनेक व्यवस्थाएं मंदिर प्रबंधन के द्वारा की गई है।
पहले दिन हुई मां शैलपुत्री की पूजा : राजपुरोहित नमन पांडे
राजपुरोहित नमन पांडे ने बताया कि नवरात्रि के प्रथम दिवस माता के नौ रूपों में मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना विधि विधान से की गई है. श्री नमन पांडे ने छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस. NEWS की टीम को बताया आज से शारदीय नवरात्रि का शुभारंभ हो गया है, इस पावन अवसर पर मां दुर्गा के पहले स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की गई है । नवरात्रि के पहले दिन घट स्थापना के बाद मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है। शैल का अर्थ होता है हिमालय और पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण माता पार्वती को शैलपुत्री कहा जाता है। मां पार्वती भगवान शंकर की पत्नी हैं और उनका वाहन वृषभ यानी कि बैल है इसलिए उन्हें वृषभारूढ़ा भी कहते हैं। मान्यता है कि जो कोई भी श्रद्धा और विधि-विधान से मां शैलपुत्री की पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और उसे हर प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिलती है।