इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस
अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के अवसर पर इंडस पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों ने दिखाएं शतरंज में अपनी प्रतिभा, शाह और मात के खेल में दिखाई अपनी प्रतिभा
कोरबा /छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस न्यूज़: हर साल 20 जुलाई के दिन अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाया जाता है. शतरंज दिमाग का खेल कहा जाता है. शतंरज ऐसा खेल है जिसे सदियों से खेला जाता रहा है और इस खेल को साल 1966 में यूनेस्को से रिकोग्निशन मिली थी. हर साल 20 जुलाई के दिन अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस मनाया जाता है।
हर साल 20 जुलाई को दुनियाभर में विश्व शतरंज दिवस मनाया जाता है। मनोरंजन और शिक्षा का संगम, शतरंज खेल सदियों से मानव सभ्यता का अभिन्न अंग रहा है। विश्व शतरंज दिवस हर साल, शतरंज के खेल के बारे में लोगों को शिक्षित करने, युवा पीढ़ी को शतरंज खेलने के लिए प्रोत्साहित करने और शतरंज के महान खिलाड़ियों और उनके योगदान को याद करने के उद्देश्य से मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय शतरंज दिवस, न केवल शतरंज प्रेमियों के लिए बल्कि दुनिया भर के समुदायों के लिए भी मत्वपूर्ण है। यह दिन बच्चों और वयस्कों में शतरंज के शैक्षिक लाभों, संज्ञानात्मक क्षमताओं, तार्किक तर्क और रणनीतिक सोच को बढ़ाने पर प्रकाश डालता है।
12 दिसंबर 2019 को संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) ने विश्व शतरंज दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। 20 जुलाई का दिन ही शतरंज दिवस के रूप में इसलिए चुना गया क्योंकि 1924 में इसी दिन पेरिस में इंटरनेशनल चेस फेडरेशन की स्थापना हुई थी।
*इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में अंतरराष्ट्रीय शतरंज दिवस के अवसर में* अध्यनरत विद्यार्थियों ने अलग-अलग समूह में शतरंज प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। सभी विद्यार्थियों ने पूरी ऊर्जा,उत्साह एवं लगन के साथ शतरंज का खेल खेला। बालिका एवं बालकों ने अलग अलग वर्ग में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया।कई प्रतियोगिता बालक एवं बालिका के भी मध्य करवाई गई ।सभी ने शतरंज में बेहतर प्रदर्शन किया।
कक्षा 11 वीं की छात्रा बिनीता महतो ने कहा कि शतरंज शाही गेम है।इससे हमारा दिमागी कसरत होता है।हमारे सोचने एवं तर्क करने की शक्ति का विकाश होता है।हमें अंदर प्रोब्लम सॉल्विंग स्किल डेवलप होते हैं।यह खेल हमेंकाई तरह से सोचकर निर्णय लेना सिखाता है।प्राचीनका से ही यह खेल लोकप्रिय राजा है।आज भी अभिजात्य वर्गों में यह खासा लोकप्रिय है।
11 वीं के छात्र हर्ष ने कहा कि हम खेलों के क्षेत्र में भी बहुत आगे बढ़ सकते हैं। जिसमें से एक अंतरराष्ट्रीय खेल शतरंज भी है ।शतरंज में भी हम अपना पहचान बनाकर भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं। यह बहुत ही रोचक मनोरंजक और पसंदीदा खेल है।
शतरंज का खेल दिमागी कसरत हेतु अति उत्तम है, हम इस खेल के क्षेत्र में भी अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर नाम पैसा और पहचान बना सकते हैं- डॉ संजय गुप्ता
विद्यालय के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि माना जाता है कि 1500 साल पहले गुप्त साम्राज्य के दौरान शतरंज या चतुरंगा का खेल अस्तित्व में आया. यह खेल 6वीं शताब्दी के दौरान भारत में फला-फूला, जो सेना के चार डिवीजन – पैदल सेना, घुड़सवार सेना, हाथी और रथ या आधुनिक दिन के मोहरे, शूरवीर, किश्ती और बिशप पर आधारित था. तब इस खेल को चतुरंग कहा जाता था।खेल की शुरुआत 7वी शताब्दी के आसपास चतुरंग नाम से भारत में हुई थी, जो बाद में अरबी लोगो ने यूरोप में फैला दी। शतरंज का आधुनिक रूप यूरोप में 15वी शताब्दी के आखिर में बना।
शतरंजनके महान खिलाड़ी विश्वनाथन आनंद ने पांच बार विश्व चैंपियन का खिताब जीता और 21 महीनों तक विश्व रैंकिंग में नंबर एक स्थान बनाए रखा, जो रिकॉर्ड पर छठा सबसे लंबा समय था। 2817 की सर्वोच्च रेटिंग के साथ, वह अब तक के आठवें सबसे उच्च FIDE-रेटेड खिलाड़ी हैं।
यह खेल हमें तार्किक रूप से कुशल बनाता है।यह दिमागी कसरत हेतु सबसे उत्तम खेल है।हम इस खेल में भी बहुत अच्छा कैरियर बना सकते हैं।यह गेम हमें नेम,फेम और मनी प्रफानकर्ण में सहायक है।
शतरंज एक ऐसा खेल है, जिसमें खिलाड़ी को चालें याद रखने और सीखने की आवश्यकता होती है। ऐसे में यह गेम याददाश्त बढ़ाने में मदद करता है। इससे स्मरण शक्ति में सुधार होता है। जो लोग शतरंज खेलते हैं, उनकी सीखने की क्षमता तेजी से डेवलप होतीOplu