इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य ‘ डॉ संजय गुप्ता’ के जीवन पर आधारित ‘ डॉ संजय गुप्ता – एकाग्र ‘ पुस्तक का हुआ विमोचन
डॉ संजय गुप्ता के संघर्ष और सफलता की गाथा कहती डॉक्टर संजय गुप्ता- एकाग्र पुस्तक का हुआ शानदार विमोचन
कोरबा / छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस : जीवनी लेखन का मतलब है किसी व्यक्ति के जीवन का विस्तृत विवरण लिखना. जीवनी लेखन में, किसी व्यक्ति के जीवन के बारे में गैर-काल्पनिक जानकारी दी जाती है. इसमें तथ्यात्मक विवरण के साथ-साथ व्यक्तिगत कहानियां भी शामिल होती हैं. जीवनी लेखन में, किसी व्यक्ति के बचपन से लेकर वयस्कता तक का विवरण दिया जाता है. जीवनी लेखन में, विषय के जीवन के बारे में बुनियादी जानकारी जैसे कि उनका जन्म स्थान, शिक्षा, और रुचियां शामिल होती हैं।जीवनी एक विस्तृत लेखन है जो किसी विशिष्ट व्यक्ति के जीवन का विवरण देता है, जिसे उन्होंने स्वयं नहीं लिखा है। जो आत्मकथाएँ स्वयं व्यक्ति द्वारा लिखी जाती हैं उन्हें आत्मकथाएँ कहा जाता है। जीवनी लेखन अक्सर आविष्कारकों, एथलीटों, राजनेताओं और मशहूर हस्तियों जैसे प्रसिद्ध व्यक्तियों के बारे में लिखा जाता है।
आत्मकथा मनुष्य की आत्म-विश्लेषण और आत्म-खोज की यात्रा को व्यक्त करती है। कभी-कभी आत्मकथा किसी के व्यक्तित्व के अनुवाद के रूप में कार्य करती है। व्यक्तिगत लेखक अपने जीवन के अंतरंग विवरण प्रदान करके अपनी पहचान को फिर से बनाता है। एक आत्मकथा का सांस्कृतिक, राजनीतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से विश्लेषण किया जा सकता है।आत्मकथा के द्वारा अपने बीते हए जीवन का सिंहावलोकन और एक एक व्यापक पृष्ठभूमि में अपने जीवन का महत्त्व दिखलाया जाना संभव है।” 4. आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र का मत है कि – “आत्मकथा वस्तुतः रहस्य के प्रकाशन के लिए लिखी जाती है। व्यक्ति का जो स्वरूप सामान्यतया समाज के सामने नहीं आता, उसे लाना ही आत्मकथा का प्रयोजन है ।आत्मकथा एक साहित्यिक विधा है जो किसी व्यक्ति के जीवन का स्वयं लिखा गया विवरण है। इसे प्रायः सुप्रसिद्ध या मान्यता प्राप्त लोगों द्वारा अपने विचारों और अनुभवों से पाठक को अवगत कराने के प्रयास में लिखा जाता है।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के प्राचार्य डॉक्टर संजय गुप्ता को कि किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं,एक ऐसा व्यक्तित्व जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी अपनी राह नहीं छोड़ी और सफलता के शीर्ष पर विराजित हुए।शिक्षा के क्षेत्र में एक जाना पहचाना चेहरा।
डॉक्टर संजय गुप्ता के जीवन के विभिन्न पहलुओं को स्पर्श करती हुई एक पुस्तक ‘डॉक्टर *संजय गुप्ता – एकाग्र*’ का बहुत ही शानदार विमोचन समारोह विद्यालय में आयोजित किया गया।उस समारोह में विद्यालय के स्टाफ एवं विद्यार्थियों के साथ ही विभिन्न नामचीन हस्तियों ने शिरकत की।
गांधीश्वर जो कि बहुत ही प्रसिद्ध मासिक पत्रिका है,जिसमें डॉक्टर संजय गुप्ता – एकाग्र शीर्षक के साथ डॉक्टर संजय गुप्ता के चरित्र,शिक्षा,स्वभाव,उपलब्धियां,जीवनशैली,सामाजिक सहभागिता,जुहारू व्यक्तित्व,संघर्षपूर्ण सफर,सकारात्मक सोच जैसी विभिन्न अनछुए पहलुओं को समाज के मध्य उजागर कर नई पीढ़ी को प्रेरित करने का प्रयास किया गया है।
वास्तव में डॉक्टर संजय गुप्ता के जीवन पर आधारित यह पुस्तक सभी के लिए अनुकरणीय है।
पुस्तक विमोचन के अवसर पर डॉक्टर संजय गुप्ता ने उपस्थित सभी अतिथियों एवं संपादक महोदय के प्रति आभार व्यक्त किया।डॉक्टर संजय गुप्ता ने कहा कि मैं आभारी हूं संपादक महोदय एवं उनके समूह का जिन्होंने मुख जैसे व्यक्तित्व के जीवन को करीब से समझने के प्रयास किया।में स्वयं को महान तो नहीं कह सकता क्योंकि महानता की परिभाषा ही बड़े गहरी है परंतु इतना अवश्य कहूंगा कि हमें अपने जीवन में हमेशा समाज और राष्ट्र हित में कार्य करने चाहिए।हमें अपने व्यक्ति पर किसी भी प्रकार का दाग नहीं आने देना चाहिए।मेहनत और संघर्ष ही आपको सफलता के शीर्ष पर ले जाते हैं,अतः बिना किसी की परवाह किया हमेशा अपने मंजिल की ओर अग्रसर रहें। चित्र भले ही सुंदर ना हो,चरित्र अवश्य सुंदर और प्रभावी होना चाहिए।