बच्चों के जीवन में शिक्षा और खुशियाँ दोनों की अहमियत है।-डॉक्टर संजय गुप्ता
बच्चों की मुस्कान ही इस दुनिया का सबसे बड़ा खजाना है-डॉक्टर संजय गुप्ता
कोरबा / छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस : भारत के प्रथम प्रधानमंत्री एवं बच्चों के प्यारे चाचा जी पं. जवाहर लाल नेहरू का जन्मोत्सव जिसे देश में 14 नवम्बर को बाल दिवस के रूप मे हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। सर्वविदित है कि चाचा जी को बच्चों से बेहद प्रेम था। आज भी उनके जन्मदिवस पर पंडित नेहरू जी के प्रति बच्चों का प्रेम देखते ही बनता है, खासकर विद्यालयों में बालदिवस पर विविध आयोजन कर उसे आकर्षक बनाने का प्रयास किया जाता है जिससे बच्चों में उत्साह खुशी का माहौल निर्मित हो तथा हमारे महान देशभक्तों के बारे में जानने का सुअवसर प्राप्त हो।
यूँ तो दीपका स्थित इंडस पब्लिक स्कूल में हर वो पल जहॉ से ज्ञान एवं जागरूकता का सबक मिलें, बच्चों को अवसर दिया जाता है कि इसमें वो अपनी प्रतिभा को दिखा सकें फिर बालदिवस का सुअवसर कैसे रह सकता है।
इस वर्ष बालदिवस के पावन अवसर पर आई. पी. एस. दीपका में एक विशेष आयोजन रखा गया है जिसका नाम है “मस्ती“। इस खास दिन को और भी खास बनाने के लिए विद्यार्थियों की पसंद,खुशी और मस्ती का विशेष ध्यान रखा गया।
एक ओर जहां प्राइमरी एवं प्री प्राइमरी के बच्चों ने मनोरंजक एवं ज्ञानवर्धक पपेट शो का आनंद लिया वहीं दूसरी ओर माध्यमिक कक्षा के विद्यार्थियों को शानदार मनोरंजक एवं मस्ती भरी मूवी दिखाई गई।कक्षा 9 वीं एवं 11 वीं के विद्यार्थी कबड्डी,खो – खो में मशगूल हो गए।सभी विद्यार्थियों को अपना बचपन जीने का भरपूर अवसर दिया गया।सभी इवेंट का विद्यार्थियों ने भरपूर आनंद उठाया। साथ ही विद्यार्थियों ने टीचर्स के साथ विभिन्न व्यंजनों का आनंद लिया।टीचर्स एवं स्टूडेंट्स सभी ने परस्पर टिफिन शेयर किया।
विद्यालय की शैक्षणिक प्रभारी श्रीमती सोमा सरकार का मानना है कि इस तरह के आयोलन से जिसमें विद्यार्थी, अध्यापक एवं अभिभावक सब एक जुट होकर कार्य करते हैं तो उनके परस्पर संबंध मजबूत होते हैं और एकजुटता की भावना का विकास होता है। बालदिवस हमें संदेश देता है कि वाकई बचपन कितना लाजवाब व कीमती होता है।हमें बच्चों के बालमन की कोमलता को समझकर बच्चों के साथ व्यवहार करना चाहिए।बच्चे वास्तव में मन के सच्चे होते हैं।वे भगवान का स्वरूप होते हैं।
इंडस स्कूल दीपका के प्रचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने करते हुए कहा है कि बच्चों का हृदय अत्यंत कोमल होता है ।हमें उनके तरीके से सोच कर उसी के अनुरूप व्यवहार करना चाहिए ।हमें बच्चों के बाल मन की पूरी समझ होनी चाहिए ।बच्चों के ऊपर लगातार जिम्मेदारियों का बोझ डालना कहां तक उचित है? हमें इस पर भी विचार करना चाहिए। हम बच्चों के साथ बच्चे बन भी जाएं तो इसमें कोई बुराई ही नहीं है। इंडस पब्लिक स्कूल दीपका वैसे तो हर स्तर से बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु प्रयासरत रहा है और आगे भी रहेगा ।बाल दिवस के शुभ अवसर पर बच्चों की खुशी, मस्ती और आनंद का पूरा ध्यान रखा गया। बच्चों को बचपन जीने का भरपूर अवसर दिया गया। अध्ययन अध्यापन में भी बच्चों के बाल मन को ठेस न पहुंचे इसका हम पूरा ख्याल रखते हैं। अध्ययन अध्यापन को बच्चों के व्यवहार से लगातार रिलेट कर शिक्षा की प्रक्रिया को आगे बढ़ने का प्रयास करते हैं।
चाचा नेहरू का बच्चों के प्रति असीम प्रेम और उनकी शिक्षा के प्रति समर्पण हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। उन्होंने हमेशा बच्चों को देश का भविष्य कहा, और उनका मानना था कि आज के बच्चे ही कल के नेता बनेंगे।